वांछित मन्त्र चुनें

एमे॑नं प्र॒त्येत॑न॒ सोमे॑भिः सोम॒पात॑मम्। अम॑त्रेभिर्ऋजी॒षिण॒मिन्द्रं॑ सु॒तेभि॒रिन्दु॑भिः ॥२॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

em enam pratyetana somebhiḥ somapātamam | amatrebhir ṛjīṣiṇam indraṁ sutebhir indubhiḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ। ई॒म्। ए॒न॒म्। प्र॒ति॒ऽएत॑न। सोमे॑भिः। सो॒म॒ऽपात॑नम्। अम॑त्रेभिः। ऋजी॒षिण॑म्। इन्द्र॑म्। सु॒तेभिः॑। इन्दु॑ऽभिः ॥२॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:42» मन्त्र:2 | अष्टक:4» अध्याय:7» वर्ग:14» मन्त्र:2 | मण्डल:6» अनुवाक:3» मन्त्र:2


बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर मनुष्य क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! आप लोग (सुतेभिः) उत्पन्न किये गये (सोमेभिः) ऐश्वर्य्यों वा ओषधियों के समूहों से (इन्दुभिः) आनन्दकारक जलों से तथा (अमत्रेभिः) उत्तम पात्रों से (सोमपातमम्) अतिशय सोमरस के पीनेवाले (ऋजीषिणम्) सरल धार्मिक जनों की इच्छा करने के स्वभाववाले (एनम्) इस (इन्द्रम्) ऐश्वर्य्य के देनेवाले राजा की (ईम्) सब ओर से (प्रत्येतन) प्रतीति करिये ॥२॥
भावार्थभाषाः - हे राजा और प्रजाजनो ! आप लोग यथार्थवक्ता तथा राजा आदि विद्वानों में विश्वास करिये और वे आप लोगों में विश्वास करें, इस प्रकार दोनों और आनन्द बढ़े ॥२॥
बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनर्मनुष्याः किं कुर्युरित्याह ॥

अन्वय:

हे मनुष्या ! यूयं सुतेभिः सोमेभिरिन्दुभिरमत्रेभिः सोमपातममृजीषिणमेनमिन्द्रमीमा प्रत्येतन ॥२॥

पदार्थान्वयभाषाः - (आ) समन्तात् (ईम्) सर्वतः (एनम्) राजानम् (प्रत्येतन) प्रतीतिं कुरुत (सोमेभिः) ऐश्वर्यैरोषधिगणैर्वा (सोमपातमम्) अतिशयेन सोमपातारम् (अमत्रेभिः) उत्तमैः पात्रैः (ऋजीषिणम्) ऋजूनां सरलानां धार्मिकानां जनानामीषितुं शीलम् (इन्द्रम्) ऐश्वर्यप्रदम् (सुतेभिः) निष्पादितैः (इन्दुभिः) आनन्दकरैरुदकैः ॥२॥
भावार्थभाषाः - हे राजप्रजाजना ! यूयमाप्तेषु राजादिविद्वत्सु च विश्वासं कुरुत ते च युष्मासु विश्वसेयुरेवमुभयत्राऽऽनन्दो वर्धेत ॥२॥
बार पढ़ा गया

माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे राजा व प्रजाजनांनो ! तुम्ही विद्वान व राजा इत्यादी लोकांवर विश्वास करा व त्यांनीही तुमच्यावर विश्वास ठेवावा. या प्रकारे दोघांनीही आनंदाने राहावे. ॥ २ ॥